कासगंज में ट्रैफिक वसूली का काला खेल: राजकोल्ड, नदरई और बिलराम नहर के पुल पर ‘अबैध उगाही’ का खुला कारोबार। - Time TV Network

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कासगंज में ट्रैफिक वसूली का काला खेल: राजकोल्ड, नदरई और बिलराम नहर के पुल पर ‘अबैध उगाही’ का खुला कारोबार।

कासगंज। 

           जिले के राजकोल्ड चौराहा, नदरई क्षेत्र और बिलराम नहर के पुल पर ट्रैफिक वसूली का काला खेल लगातार बढ़ता जा रहा है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि ट्रैफिक यूनिफॉर्म में मौजूद कुछ बड़े कर्मचारी (बहनें) खुद को कानून का रक्षक बताकर सड़क पर चलने वाले छोटे वाहन चालकों को रोकते हैं, उनका फोटोशूट करते हैं और फिर उन्हें डरा-धमका कर उनसे अबैध रकम वसूलते हैं।


लोगों में सवाल है—

क्या ट्रैफिक विभाग को ऐसी गतिविधियाँ दिखाई नहीं देती?

“कब खत्म होगा यह अवैध उगाही का खेल?”

यह रिपोर्ट इसी बढ़ते भ्रष्टाचार और आम जनता की पीड़ा पर आधारित है।

राजकोल्ड चौराहे पर ‘स्टॉप एंड वसूली’ का खेल

राजकोल्ड चौराहा कासगंज का व्यस्ततम एरिया है। यहां रोज हजारों छोटे-बड़े वाहन गुजरते हैं। लेकिन पिछले कुछ महीनों में यहां एक नया ‘रूटीन’ विकसित हो गया है—

वाहन रोको, फोटो खींचो और वसूली करो।

कई स्थानीय लोगों का कहना है कि—

बिना किसी चालान मशीन के,

बिना किसी वैध कारण के,

बिना किसी लिखित नोटिस के,

छोटे वाहन, खासकर—

बाइक

ई-रिक्शा

छोटे ठेलों

निजी स्कूटी

को रोककर उनसे 200–500 रुपये तक की अवैध वसूली की जाती है। कई युवाओं ने बताया कि जरा सा विरोध करने पर कहा जाता है:

“फोटो भेज दूँगा/दूंगी चलो साइड में… वरना गाड़ी सीज कर देंगे।”

यह संवाद सुनकर कोई भी आम आदमी डर जाता है, क्योंकि वह झंझट में नहीं पड़ना चाहता।

नदरई और बिलराम नहर पुल: वसूली का नया ‘हॉटस्पॉट’

नदरई और बिलराम के नहर पुल पर हर दिन सुबह और शाम के समय ट्रैफिक की गतिविधियाँ बढ़ जाती हैं। इसी भीड़ का लाभ उठाकर कुछ लोग उगाही का नया ठिकाना बना चुके हैं।

स्थानीय लोगों के आरोप:

छोटे वाहन वालों को देखकर जानबूझकर रोका जाता है

पहले फोटो लिया जाता है ताकि उन्हें ‘डराया’ जा सके

फिर कहा जाता है कि लाइसेंस, कागज या हेलमेट में कमी है

लेकिन चालान नहीं किया जाता—सीधे पैसे मांगे जाते हैं

विरोध करने पर गाड़ी उठाने की धमकी

लोगों का कहना है कि यह सब शाम से रात तक का नियमित खेल बन चुका है।

 युवाओं और छोटे मजदूर वर्ग को सबसे ज़्यादा नुकसान

सबसे दुखद बात यह है कि इस अवैध वसूली का सबसे बड़ा शिकार—

मेहनतकश मजदूर

दिहाड़ी पर काम करने वाले युवक

छोटे दुकानदार

छात्र

रिक्शा चालक

बन रहे हैं।

एक मजदूर का कहना था:

“हम दिन भर 300–350 रुपये मजदूरी कमाते हैं। शाम को घर जाते समय 200 रुपये का अवैध जुर्माना दे दो तो पूरा दिन बेकार चला जाता है। किससे शिकायत करें?”चाहो तो इसे कम कर लेना।।

कई ई-रिक्शा चालकों ने भी बताया कि रोजाना की कमाई में से 50–100 रुपये का ‘अवैध कट’ मानो उनकी मजबूरी बन गया है।

फोटोशूट का डर: ‘सबूत’ बनाकर वसूली का हथियार

सबसे ज्यादा विवाद फोटो खींचने को लेकर है। आमतौर पर ट्रैफिक पुलिस तभी फोटो शूट करती है जब:

कोई चालान किया जा रहा हो

दुर्घटना हो

किसी नियम का गंभीर उल्लंघन हो

लेकिन कासगंज के इन इलाकों में सबसे पहले फोटो लिया जा रहा है, फिर उसे दबाव बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।

यूथों का आरोप:

“जैसे ही बाइक रोकी, तुरंत मोबाइल निकालकर फोटो लेते हैं।

फिर बोलते हैं— अब चालान लगेगा, वरना 300 रुपये दो।”

फोटो लेने का असली उद्देश्य उन्हें ‘चालान और कार्रवाई’ के डर से कमजोर करना होता है।

 सवाल ये भी कि ट्रैफिक विभाग क्यों नहीं ले रहा संज्ञान?

यह मामला नया नहीं है। लोग धीरे-धीरे इस बारे में बोलने लगे हैं, सोशल मीडिया पर वीडियो भी सामने आए हैं। फिर भी स्थिति जस की तस बनी हुई है।

सवाल उठता है:

क्या विभाग को मौके से की जा रही अवैध वसूली दिखाई नहीं देती?

क्या इन स्थानों पर कोई मॉनिटरिंग नहीं होती?

क्या यह ‘संगठित’ सिस्टम बन चुका है?

क्या छोटे कर्मचारी अपने अधिकारियों के नाम पर गलत फायदा उठा रहे हैं?

क्या कार्रवाई न होने से इन्हें खुला लाइसेंस मिल गया है?

जनता में यह चर्चा आम है कि अगर विभाग चाहे तो सीसीटीवी फुटेज, स्थानीय शिकायतें, मौके पर निरीक्षण, और वीडियो प्रमाण के आधार पर मिनटों में कार्रवाई हो सकती है।

लेकिन कार्रवाई गायब है, और वसूली जारी है।

छोटी बहनों की छवि पर भी सवाल

यह भी कहा जा रहा है कि कुछ छोटी महिला कर्मचारियों की छवि का गलत उपयोग किया जा रहा है। कुछ युवक बताते हैं कि—

“पहले फोटोशूट का बहाना, फिर अलग बुलाकर डराना, फिर अवैध वसूली—इससे ट्रैफिक विभाग और महिला कर्मचारियों की प्रतिष्ठा दोनों पर सवाल उठ रहे हैं।”

ऐसी घटनाएँ न केवल अवैध हैं, बल्कि महिला पुलिस के सम्मानित दर्जे को भी नुकसान पहुँचाती हैं।

 कानून कहता है: फोटोशूट + धमकी = अपराध

भारतीय कानून में—

अवैध वसूली

धमकी देकर पैसे लेना

अनधिकृत फोटो लेना

पद का दुरुपयोग

झूठी कार्रवाई की धमकी

ये सभी अपराध की श्रेणी में आते हैं।

आईपीसी की धारा 384—उगाही (Extortion)

आईपीसी की धारा 503—धमकी देना

आईपीसी की धारा 166—सरकारी पद का दुरुपयोग

आईपीसी की धारा 420—धोखाधड़ी

अगर कोई सरकारी कर्मचारी इस तरह के काम में शामिल है, तो यह सीधे-सीधे सरकारी सेवा नियमों का उल्लंघन है।

 जनता पूछ रही: आखिर यह अवैध खेल कब खत्म होगा?

कासगंज के नागरिकों की एक ही मांग है—

“ट्रैफिक व्यवस्था सुधारो, और वसूली बंद कराओ।”

लोग मांग कर रहे हैं:

इन स्थानों पर CCTV की निगरानी बढ़े

नियमित निरीक्षण हो

मोबाइल वीडियो और शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई हो

शिकायत दर्ज करने के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी हो

अवैध वसूली में शामिल कर्मचारियों को सस्पेंड किया जाए

निर्दोष जनता को परेशान करने पर कार्रवाई हो

कई लोगों का कहना है कि जब तक कड़ी कार्रवाई नहीं होगी, तब तक यह सिस्टम और मजबूत होता जाएगा।

 निचोड़ / निष्कर्ष

कासगंज में ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने के नाम पर चल रही यह ‘अवैध वसूली मशीन’ आम जनता की जेब पर सीधा हमला है।

राजकोल्ड, नदरई और बिलराम नहर पुल पर फैला यह नेटवर्क न सिर्फ कानून-व्यवस्था को बदनाम कर रहा है, बल्कि ट्रैफिक कर्मचारियों की छवि को भी धूमिल कर रहा है।

अगर अब भी विभाग चुप बैठा रहा, तो यह खेल और भी खतरनाक रूप ले सकता है।

जनता की मांग बिल्कुल स्पष्ट है—

यह खेल खत्म होना चाहिए, और अभी खत्म होना चाहिए।

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