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मारहरा (एटा जिले) में लकड़ी कटान की बढ़ती घटनाएं और प्रशासनिक उदासीनता

 बन बिभाग

उत्तर प्रदेश के एटा जिले के मारहरा क्षेत्र में हरे-भरे वृक्षों  के कटान की लगातार घटनाएं सामने आ रही हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि न तो प्रशासन-वन विभाग समय से कार्रवाई कर रहे हैं और न ही अपराधियों पर ठोस दबाव है।


स्थिति का जायजा

जिले के जलेसर तहसील क्षेत्र में सरकारी और निजी भूमि पर हरे वृक्षों का अवैध कटान जोरों पर है — “हरे वृक्षों का कटान जारी है, डीएफओ के आदेश हवा में” शीर्षक से एक खबर प्रकाशित हुई है। 

उदाहरण के लिए, ग्राम पंचायत सकरौली के आसपास वन विभाग ने 54 हरे यूकेलिपटस वृक्ष कटे पाए, जिनमें मजदूरों व ट्रैक्टर-ट्रॉली जब्त होती दिखी। 


इलाके में एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया है कि फलदार व हरे पेड़ों की कटाई बड़ी तादाद में हो रही है और स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह पुलिस व वन विभाग के संरक्षण में हो रहा है। 

इसके अलावा, करीब के मिरहची थाना क्षेत्र के गांवों नगला जवाहरी-नगला मंशी के बीच ऐसी कटाई होने की चर्चा है, जिन्हें स्थानीय लोगों ने “टिम्बर माफिया” और वन विभाग के मिलीभगत के तहत बताया है। 


प्रशासन व विभागीय रवैया

ग्रामीणों ने बताया कि कटाई रात में ट्रैक्टर-ट्रॉली से होती है ताकि नजर ना जाए। वन विभाग तथा पुलिस को सूचित करने के बावजूद आरोप है कि मौके पर जाना तक नहीं होता। 

वन विभाग का कहना है कि आदेश दिए गए हैं, लेकिन अमल धरातल पर कम ही दिख रहा है। जलेसर क्षेत्र के वन क्षेत्राधिकारी ने कहा था कि स्टाफ भेजा गया है, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि कार्रवाई नगण्य है। 

यह मामला उस संवेदनशील भू-भाग का भी है जो ताज ट्रेपज़ियम ज़ोन (TTZ) के अंतर्गत आता है। TTZ में पेड़ कटने एवं पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन विशेष रूप से चिंतित करने वाला मुद्दा रहा है। 


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