स्थान – एटा जिला, थाना क्षेत्र मारहरा, गांव हजरतनगर
एटा जनपद के थाना मारहरा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गांव हजरतनगर से मरघट वाले चकरोट के पास एक बार फिर हरे पेड़ों के अबैध कटान का मामला सामने आया है। ग्रामीणों के अनुसार, बीती रात अज्ञात लोगों ने चोरी-छिपे जामुन के लगभग 5 से 6 हरे पेड़ काट डाले। इन पेड़ों का आकार भी काफी बड़ा बताया जा रहा है, जिनकी गोलाई करीब 10 से 12 फीट तक थी। इस घटना से स्थानीय किसानों और पर्यावरण प्रेमियों में रोष व्याप्त है।
कटान की जानकारी ग्रामीणों को सुबह मिली, जब खेतों की ओर जाने वाले किसानों ने सागौन के पेड़ों के पास पड़े ताजे कटे हुए जामुन के तनों को देखा। बताया जा रहा है कि कटे हुए पेड़ों की लकड़ी को आरोपी मौके से उठा ले गए, जिससे यह स्पष्ट होता है कि पूरी वारदात पूर्व नियोजित तरीके से की गई थी।
इस जमीन पर खेती करने वाले किसान भगवान सिंह और गोवर्धन ने बताया कि यह पेड़ कई वर्षों पुराने थे और गांव के वातावरण को ठंडक व छाया प्रदान करते थे। इन पेड़ों से ग्रामीणों का भावनात्मक जुड़ाव भी था। भगवान सिंह ने कहा कि “यह पेड़ हमारे खेतों की शान थे। किसी ने रातों-रात इन्हें काटकर बहुत बड़ा नुकसान किया है।”
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि मारहरा क्षेत्र में पिछले कुछ समय से हरे पेड़ों का कटान लगातार बढ़ रहा है, और वन विभाग इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि कुछ प्रभावशाली लोग या लकड़ी माफिया रात के अंधेरे में कटान करवा रहे हैं और विभाग को भनक तक नहीं लगती।
वन विभाग की लापरवाही पर सवाल....?
ग्रामीणों ने इस घटना की शिकायत वन विभाग और थाना मारहरा में देने की तैयारी की है। लोगों का कहना है कि यदि वन विभाग समय रहते निगरानी करता तो इस तरह की घटनाएँ नहीं होतीं। हरे पेड़ों का इस तरह से कट जाना न केवल कानूनन अपराध है, बल्कि पर्यावरण संतुलन के लिए भी एक गंभीर खतरा है।
स्थानीय लोगों ने यह भी बताया कि कुछ दिन पहले भी इसी क्षेत्र में सागौन और नीम के पेड़ों का अवैध कटान हुआ था, लेकिन विभाग की ओर से केवल कागज़ी कार्रवाई की गई। इस बार ग्रामीणों ने साफ कहा है कि वे कटान करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करेंगे और यदि जरूरत पड़ी तो वे उच्च अधिकारियों तक इस मुद्दे को पहुंचाएंगे।
पर्यावरण पर गहराता संकट
हरे पेड़ों का कटान केवल एक आर्थिक अपराध नहीं बल्कि पर्यावरणीय विनाश की दिशा में बढ़ता कदम है। जामुन जैसे पेड़ न केवल ऑक्सीजन का बड़ा स्रोत हैं बल्कि उनकी छाया और फल ग्रामीण जीवन का अहम हिस्सा होते हैं। लगातार हो रहे कटान से गांव का हरियाली घट रही है और गर्मियों में तापमान बढ़ने की आशंका भी बढ़ रही है।
ग्रामीणों की मांग
गांव हजरतनगर के लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि कटान की घटना की जांच उच्च स्तर पर कराई जाए, जिम्मेदार लोगों की पहचान कर उन्हें सख्त सजा दी जाए। साथ ही भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए वन विभाग की गश्त बढ़ाई जाए और हरे पेड़ों की सुरक्षा के लिए निगरानी दल गठित किया जाए।
निष्कर्ष
यह घटना इस बात का संकेत है कि पर्यावरण संरक्षण के नियम कागजों तक ही सीमित रह गए हैं। यदि प्रशासन ने अब भी ध्यान नहीं दिया, तो आने वाले समय में इस क्षेत्र की हरियाली केवल यादों में रह जाएगी। हजरतनगर से मरघट वाले चकरोट तक का इलाका, जो कभी पेड़ों की हरियाली से भरा रहता था, अब धीरे-धीरे उजड़ता जा रहा है — और इसका जिम्मेदार कोई और नहीं, बल्कि हमारी ही लापरवाही और लालच है।



