गुजरात में चल रही बोर्ड की परीक्षाऐं ...✍️
अभिवावकों का दायत्व बनता है कि अपने बच्चों के प्रति लापरवाही ना बरतें बल्कि एक जिम्मेदार अभिवावक बनकर बच्चों पर ध्यान दें। कभी कभी जल्द वाजी में वो हो जाता है जो बच्चों के साथ नहीं होना चाहिए।
हद तो तब हो गई जब एक पिता अपनी बेटी को गलत परीक्षा केंद्र पर उतार कर चला गया... बेटी ने 15 मिनट तक अपना रोल नंबर खोजने का प्रयास किया लेकिन रौल नमहर कहीं नहीं मिला क्योंकि पिता गलत परिक्षाकेन्द्र पर बच्ची को छोड़ गया। फिर क्या बच्ची के लिए मसीहा बनकर सामने आए पुलिस इंस्पेक्टर , वो इंस्पेक्टर साहब वहीं परिक्षाकेन्द्र पर ऑन ड्यूटी तैनात थे उन्होंने जब देखा कि एक छात्रा काफी देर से परेशान है तब उन्होंने उसकी हॉल टिकट लेकर देखा तब पता चला कि लड़की के पिता जी उसे गलत परीक्षा केंद्र पर उतार कर चले गए हैं और इस बच्ची का असली परीक्षा केंद्र वहां से 20 किलोमीटर दूर है ।
परीक्षा में सिर्फ 15 मिनट बचे थे पुलिस इंस्पेक्टर ने अपनी सरकारी गाड़ी में लाइट जलाते हुए और हूटर बजाते हुए उस बच्ची को समय से पहले उसके मूल परीक्षा केंद्र पर पहुंचा कर उस बच्ची का एक साल बिगड़ने से बचा लिया। और इंस्पेक्टर ने एक मिसाल कायम की जो सभी को एक बहुत बड़ी सीख देती है जिस तरह बच्ची के भविष्य को बचाने में मदद की इसी तरह सभी को परिस्थिति में एक दूसरे की मदद करना एक परोपकार है।

